Tuesday 27 June 2017

नौकरी खतरे में | Job in danger

naukri khatre me hai
नौकरी खतरे में | Job in danger


एक बार दो मित्र होते है, दोनों में बड़ी घनिष्ट मित्रता होती है, वे बचपन से ही साथ खेले,कूदे और पढाई की | मगर सबका अपना-अपना हुनर होता है, तो वाजिब था की एक मित्र को नोकरी मिल गई और दुसरे को नहीं |

नोकरी मिलने के बाद तक़रीबन पाच साल तक दोनों का मिलना-जुलना नहीं हुआ, एक मित्र जिसे नोकरी नहीं मिली वो पाच सालो तक नोकरी ढूंढता रहा और तक़रीबन हर क्षेत्र में गुसने में नाकामियाब रहा |

हार कर एक दिन उसे अपने मित्र की याद आई और वो अपने मित्र का पता ढूंढते हुए, उस तक पहुँच गया | मगर ये क्या ? पहुचते ही उसने पाया की उसका मित्र तो चिड़ियाघर संभालता है, उसे अपने मित्र के सामने अपनी समस्या रखी की उसे कही नोकरी नहीं मिल रही है, वो उसकी मदद चाहता है |

सुनते ही दुसरे मित्र ने कहा, की "नोकरी ? नोकरी तो है, मगर तू पहेले सोच ले की तू कर पायेगा या नहीं ?", ये सुनकर पहला मित्र तुरंत कह बेठा की "काम जो भी हो, मैं करने को तैयार हूँ" |

दुसरे मित्र ने कहा की चिड़ियाघर में अब जानवर कम होते जा रहे है, उनमे से हमारा एक चिंपांज़ी अभी हमारे पास नहीं है, तुझे नकली चिंपांज़ी बन कर हर रोज,आठ घटो के लिए चिड़ियाघर में रहना होगा |

नोकरी की पछाड़ खाए हुए व्यक्ति को चाहे कुछ भी मिले वो "हाँ" कर ही देता है, उसके मित्र ने भी हां कर ही दी | अगले दिन वो चिंपांज़ी की पोशाक पहन कर पिंजरे में बेठ गया | तभी बहुत सारे बच्चे वहां पर आये और उसकी और खाने का सामान फेकने लगे, किसी ने ब्रेड तो किसी ने रोटी फेंकी |

वो झूटमाट ही उन्हें खाने लगा, मगर उसे लगा की कही बच्चो को शक न हो जाये, की मैं असली चिंपांज़ी नहीं हूँ, इसलिए मुझे कुछ करतब करके दिखाने चाहिए |

बस फिर क्या था, उसने जो करतब दिखाए वो देखने लायक थे, वो वाकई में एक बंदर लग रहा था, एक बार तो वो स्वयं भूल गया की वो एक इंसान है, या बन्दर | वो रोमांचित था, अपने ही नशे में चूर, लोगो को बहलाता, हसाता, उचलता-कूदता | मगर ये क्या ? अचानक ये क्या हादसा हुआ ? सभी दंग रह गए, उसका मित्र गिर गया था |

हालाँकि गिरना कोई बड़ी बात नहीं है, मगर बात ये थी की वो शेर के पिंजरे में गिर गया था | उसके पसीने छूट चुके थे और देखने वाले लोगो के भी कहा की "अब तो चिंपांज़ी की खेर नहीं", सभी यही चर्चा करने लगे की अब तो ये नहीं बचेगा |

अपने अंतर्मन तक भयभीत लड़के ने जोर से चिलाना शुरू किया "बचाओ - बचाओ" | ये सुनते ही सबकी आँखे खुली की खुली रह गई, सभी चकित थे की एक बंदर इंसानों की भाती केसे बोल सकता है | तभी शेर चुप चाप चिम्पंजी से बोला "अबे चुप कर, अभी दोनों की नौकरी खतरे में पड़ जायगी" |

सब कुछ तुम्हारे हाथ में है | Everything is in your hand

sab kuch tumhaare haath me hai
सब कुछ तुम्हारे हाथ में है | Everything is in your hand

एक बार एक शिष्य ने अपने गुरु के अनुभव को चुनोती देने की सोची, वो गुरु को परखना चाहता था | वो उन्हें चकमा देना चाहता था, उनका हास्य बनाना चाहता था |

कुछ दिनों बाद उसे एक तरकीब सूझी, एक ऐसी तरकीब जो एक दम सटीक थी, रामबाण की तरहा, जो गुरु को हरा सकती है|

शिष्य सवेरे-सवेरे बगीचे में तितली पकड़ने गया, कई घंटो की मशकत के बाद केसे-तैसे उसने एक तितली पकड़ी | तितली पकड़ने के साथ ही शिष्य का पहला चरण पूरा हो चूका था और अब उसे इंतज़ार था, दुसरे चरण का |

गुरु जी अपनी कक्षा दोपहर दो बजे बिठाते थे, जहाँ करीबन तीन सों बच्चे पढने आते थे | वहां ढेरो बातें होती थी, विज्ञान से लेकर, आत्म ज्ञान तक | मगर आज गुरु जी नहीं जानते थे, की उनके साथ क्या होने वाला है |

गुरु जी के आते ही शिष्य ने गुरु जी से पूछा, "गुरु जी, क्या आप मेरे एक प्रश्न का जवाब दे सकते है ?" | गुरु जी ने कहा "हाँ बालक, कहो" | शिष्य ने अपने दोनों हाथो के बीच तितली छुपा रखी थी, उसने दोनों हाथ गुरु जी के सामने किये|

और कहा "गुरु जी मेरे हाथो में एक तितली है, आपको बताना है की वो जिन्दा है या मर गई ?" गुरु जी ये सुन कर हैरान हो गए की ये केसा प्रश्न है, मगर अब जब बालक ने सभी के सामने पूछा है, तो जवाब तो देना ही होगा |

गुरु असमंजस में पड़ गए, वो जान गए थे की शिष्य मेरी परीक्षा ले रहा है | उन्हें पता था की अगर मैं कहूँगा की तितली जिन्दा है, तो वो उसे वही मसल कर मार देगा और मुझे गलत साबित करने की कोशिश करेगा | और वहीँ अगर मैं कहूँगा की तितली मर गई है तो वो उसे जिन्दा दिखा कर मेरा हास्य बनाने की कोशिश करेगा |

मगर गुरु समझदार था, ज्ञानी था | उसने इतना खुबसूरत जवाब दिया की शिष्य सुन कर स्तब्ध रह गया | गुरु ने कहा की "बेटा, सब कुछ तुम्हारे हाथ में है" |

Friday 14 April 2017

जंगल का शेर | Lion of forest

jangle ka sher
जंगल का शेर | Lion of forest
सर्कस शुरू होने वाला है, सेकड़ो की तादात में लोगो का जमावड़ा लगा है | सभी टिकट के लिए कतार में लगें है, भले ही वो बच्चा हो,जवान हो या बुड्ढा | आखिरी बार शेर को जो देखना है, हाँ सही सुना आपने, शेर को | सभी टिकट बिक गए, कुछ लोग निराशा में बहार की और चल दिए तो कुछ उल्लाहस से अंदर की ओर |

सर्कस के अंदर का द्रश्य भव्य है, करीबन तीन सो(3००) सीटें होंगी जो लाल रंग में रंग कर चमक रही है | उपर देखा तो वो तमाम इंतजाम है, जो एक जोकर को नचाने के लिए पर्याप्त है | नीचे बड़ा सा पिंजरा भी दिख रहा है जहां शेरो को बुलाया जायेगा |


असल में सरकार ने फरमान जारी किया है, की कल से कोई शेरो को व्यक्तिगत तोर पर नहीं पाल सकता, यहाँ तक की शेरो को सर्कस में भी मनोरंजन के लिय इस्तेमाल नहीं किया जायेगा | इसलिए इतने सारे दर्शक आखिरी बार शेर का खेल देखने आयें है | बहुत से खेल देखे मगर सभी को उस आखरी खेल को देखना था, जब शेरो को पिंजरे में बुलाया जायेगा | और आखिरकार वो वक्त आ गया |

एक-एक कर के शेरो को बुलाया गया, कुल तीन(3) शेर दिखाई दिए, जो आज अपना हुनर सबके सामने पेश करने वाले है | उन्ही के बीच उनका एक मास्टर भी है, जो उन्हें व्यवस्थित ढंग से बेठने का निर्देश दे रहा है | शेरो ने धीरे-धीरे करतब दिखाए जिनमे उछलना, दहाड़ना और एक के उपर एक खड़े होने जैसे हैरतंगेज़ कारनामे शामिल है |

सर्कस करीबन दो(2) घंटे चला और सभी दर्शक संतुष्टि के साथ बाहर आने लगे, बच्चो से लेकर हर बड़ा आदमी मुस्कुरा रहा था की वो इस आखिरी शेर के सर्कस का हिस्सा बने | अब अगली सुबह सरकार के निर्देशानुसार उन तीनो शेरो को जंगल में छोड़ दिया गया |

सर्कस वाले थोड़े दुखी थे, क्योकि उन्हें शेरो की याद और दर्शको में आने वाली कमी ज्ञात थी | मगर अगली सुबह अखबार में एक ऐसी खबर आई जो चौंका देने वाली थी, खबर ये थी की "जंगल में दो कुत्तो ने 3 शेरो का शिकार किया"| क्या ? वाकई, सच में, बस यही शब्द थे हर शख्स के जबान पर | क्या जंगल का शेर इतना दुर्बल है ?, क्या आजकल जगल का शेर कमजोर हो गया है?


पर सवालो और अनुमानों से क्या होने वाला था, कुछ भी नहीं | असल में जंगल का शेर तो जंगल का शेर तब ही हो सकता है जब वो जंगल में रहें | असल में उन तीन शेरो का जंगल तो सर्कस ही था | बिलकुल यही बात एक परिवार के परिजनों पर लागू होती है |

बात जरा गहरी है की परिजन अपने बच्चे को घर का शेर बनाते है, मगर उसे कभी असली जंगल में नहीं उतारते | विचार गलत नहीं है, मगर कायरता भरा है, किसी के जीवन को बांधित करना अपने जीवन में देखि गई कठिनाइयों के आधार पर किसी भी तरीके से सही साबित नहीं की जा सकता | आज स्त्रियों को बाहर नहीं जाने दिया जाता, क्यों ? क्योकि कठिनाइयों, गलत विचारो के अपनाये जाने का डर है |

मगर शेरो को सर्कस तक सिमित रखना समाधान नहीं है, जो कुत्ते जंगल में थे वो तो कल सर्कस में भी आ जायेंगे, तब क्या कर पाओगे ? अर्थात समाधान तो कुछ और ही है, और हम कुछ और ही कर रहे है | समाधान केवल एक ही है, चाहे कितनी ही जिद्दोजहद के बाद आप ये अपनाये, चाहे कान इधर से पकडे, या फिर उधर से, पकड़ना तो कान ही है और समाधान भी एक ही है | शेरो को इतना शसक्त बनाये की वो स्वयं की रक्षा कर सकें | बाकी आप समझदार है, और देख भी सकते है, की दुनिया में शसक्त बनने के ढेरो रस्ते है |

* कराटे सीखे
* अपनी आत्मरक्षा करने का समाधान

Thursday 13 April 2017

रचयिता बैठा है | The master is alive

rachyita betha hai
रचयिता बैठा है | The master is alive

एक बार एक हवाई जहाज में बहुत से लोग सफ़र कर रहे थे, सभी अपनी-अपनी मंजिल की और मन में खुशहाली लिए अपने मित्रो,संबंधियों और किसी कार्य के सम्बन्ध में उस हवाई जहाज में बेठे थे, एयर होस्टेस सभी को जरुरी निर्देश दे रही थी | वहीँ समीप से कुछ बच्चो के खिल-खिलने की आवाज़ भी आ रही थी | कुछ बुजुर्ग आपस में पहली बार हवाई जहाज में बैठ कर प्रफुल्लित थे |

कुछ व्यवसाय करने वाले लोग अपने लैपटॉप पर व्यस्त थे | कुछ आखों पर अनोखी पट्टी लगाये गहरी नींद में सो रहे थे | रात के करीब दो(2) बज रहे होंगे तभी हवाई जहाज में थोड़ी हलचल महसूस हुई, स्पीकर में से एयर होस्टेस सभी को सचेत होने के लिए कह रही थी, उधर बुजुर्ग लोग भी जाग उठे थे, और व्यवसाय करने वाला व्यक्ति थक कर सो चूका था, तभी हवाई जहाज मे एक झटका और महसूस हुआ और देखते ही देखते सब जान गए थे की हालत गंभीर हो चुकी है |


हवाई जहाज की सारी लाइटें जल गई थी और सभी एयर होस्टेस सभी की ऑक्सीजन मास्क पहनाने में मदद कर रहीं थी | हवाई जहाज का संतुलन बिगड़ चूका था, अब बस उसी त्राहि-त्राहि का इंतज़ार था जो कुछ देर में होने वाली थी | मालुम ही नहीं चला की कब वो इन्तजार ख़त्म हुआ और हालत बद से बदतर हो गए, मानो हाहाकार मचा हो | लोग चीख-चिल्ला रहे थे, कुछ लोग पूछ रहा थे की क्या हुआ है, कुछ रो रहे थे की सभी का अंतिम वक्त आ गया है |

कोई इश्वर की और हाथ फेलाए बेठा था तो कोई इश्वर को कोसते हुए | बाहर का नजारा भी इस-से कुछ कम नहीं था, गड-गडाहत के साथ मानो सेकड़ो बिजलियाँ गरज उठी हों | मानो सारी स्रष्टि उलट-पुलट होने को तत्पर हों | तभी एक छोटी सी लड़की खिड़की के किनारे सीट बेल्ट बांधे अपने छोटे से हवाई जहाज के खिलोने को उड़ा-उड़ा कर हंस रही थी | माथे पर कोई चिता की शिकंज तक नहीं थी, और ना ही आस-पास होने वाली गतिविधियों से खुद पर कोई प्रभाव |

एक छोटी सी लड़की जिसका आस-पास का माहोल देख कर भयभीत होना तय था मगर ये क्या, वो तो शांत है, वो खेल रही है तो कभी खिड़की से बाहर देख कर आनंद ले रही है | वो द्रश्य जो भी था बेहद ही अलग था, जो आज तक नहीं देखा गया |


खैर, माहोल शांत हुआ, हालात सामान्य हुए | सभी गले मिलने लगे और शुक्र मनाने लगे की वो सभी बच गए | स्पीकर से फिर आवाज़ आई की हवाई जहाज अब संकट से बाहर है, और सभी यात्रिगन सुरक्षित है | ये सुनकर तो मानो सभी ने राहत की सांस ली हो, जैसे अमृत का घूंट गले से उतरा हो, जैसे नया जीवन मिल गया हो | मगर वो द्रश्य अभी-भी सामने था की वो छोटी सी नन्ही लड़की इतनी बेखोफ कैसे रह सकती है ?

प्रश्न बार-बार मस्तिष्क में घूम रहा था | सुबह के पांच(5) बज चुके थे और कोई नहीं सोया था, सभी को जल्द से जल्द बस उस हवाई जहाज से उतरना था | एअरपोर्ट पर आखिर कार हवाई जहाज पहुंचा और सभी के उतरने का क्रम शुरू हो गया |

मगर मैं उस नन्ही सी लड़की के पास जाने को आतुर था, मैं कैसे-तैसे क्रम तोड़ कर उस लड़की के पास पहुंचा और पूछ बेठा जो भी घटित हुआ, मैं पूछ बेठा की केसे, कैसे वो इतनी शांत थी, कैसे उसे कोई चिंता नहीं हुए, कैसे कोई ऐसी हालत में ऐसे रह सकता है ? वो नन्ही सी लड़की मेरी और देख कर मुस्कुराई और उसने मेरे प्रश्नों का जो उत्तर दिया वो मुझे बहुत गहरी सोच पर विचार करने पर मजबूर कर गया |

उस नन्ही सी लड़की ने कहाँ "की इस हवाई जहाज के चालक मेरे पिताजी है, मैं जानती थी की मेरे पिताजी सब संभाल लेंगे" | ये सुनते ही मानो मैं मन्त्र-मुग्ध हो गया, मानों मुझे समझ आ गया हो की इस ब्रम्हांड का संचालक भी कोई है, मानो मुझे समझ आ गया हो की कुछ चीज़े केवल वो संचालक की चलाता है, मैं अगर कुछ कर सकता हूँ तो सबसे पहले मेरी चिंता का अंत और फिर उसकी मदद |

Friday 31 March 2017

पागल कौन है | Who is mad

pagal kon hai
पागल कौन है | Who is mad

एक बार एक राजा था, उसका भरा-पूरा राज्य था | सारी प्रजा उसके राज में खुश-हाल थी, राजा किसी को कभी कोई समस्या नहीं आने देता था | मगर राज्य में दो कुएं थे, एक कुआ वो, जिसमे से प्रजा पानी ले जाती थी और दूसरा कुआ वो, जिसमे से राजा के लिए पानी ले जाया जाता था |

एक बार एक वैध उस राज्य से होकर गुजर रहा था, उसके पास उसकी जड़ी-बूटियों का झोला भी था | रात के अँधेरे में अचानक वो उस कुए से टकराया, जिससे प्रजा पानी ले जाया करती थी और वहां टकराते ही उसका जड़ी-बूटियों का झोला उसी कुए में गिर गया | अँधेरा होने के कारण वो कुए में देख नहीं पाया और चंद प्रयत्न करने के बाद हार कर अपने रस्ते की और चल दिया |


मगर अब कुछ ऐसा होने वाला था, जिसके बारे में कोई नहीं जानता था | रात भर जड़ी-बूटियों का कुछ ऐसा मिश्रण बना जिसने पानी को एक प्रकार का रासायनिक द्रव्य बना दिया | सुबह वो पानी पूरी प्रजा तक पहुँच गया और सभी ने उसका सेवन किया |


कुछ वक्त बाद धीरे-धीरे प्रजा के सभी लोग पागल होने लगे, सिवाए राजा के | स्मरण रहे सिवाए राजा के | अब प्रजा के सभी लोग पागलों जैसा व्यवहार करने लगे थे पर राजा सामान्य था | प्रजा के सभी लोग स्वयं पागल थे और असामान्य गतिविधियाँ करते थे और जब भी राजा प्रजा के बीच कोई सामान्य कार्य करता तो पूरी प्रजा राजा को पागल समझती थी |

ध्यान से पढ़िए की पूरी प्रजा राजा को पागल समझती थी जबकि पागल वो स्वयं थे |

अब बात की गंभीरता पर चलते है, की वहां असल में पागल कौन था, प्रजा या राजा ? दोनों पक्ष एक दुसरे को पागल समझ रहे थे, क्या सच में राजा पागल था या प्रजा पागल थी ?


प्रजा की और से देखें तो राजा और राजा की और से देखे तो प्रजा | असल में ये केवल विचारो का फर्क है, आजतक आपने जो भी सभी लोगो को करते देखा है, वो आपके दिमाग में एक विचार बन गया है, और अब अगर आप अचानक किसी ऐसे व्यक्ति,समुदाय या फिर समाधान को देखते है जो आपने आजतक नहीं देखा तो आप उसे पागल कहते है | असल में पागल शब्द को अच्छे से समझा जाये तो अर्थ है की मैं तुम्हारी गतिविधियों, विचारों और काम करने के तरीकों को नहीं समझ पाया हूँ |


पढ़ा-लिखा व्यक्ति किसी अनपढ़ को पागल कहता है, तो अनपढ़ पढ़े-लिखे व्यक्ति को | असल में दोनों केवल आरोप लगा रहे है, मगर दोनों में से कोई एक दुसरे को समझने की कोशिश नहीं कर रहा | अगर दोनों एक दुसरे को समझने की कोशिश करे तो वो जान जायेंगे की पागल कोई नहीं था, असल में वो केवल उनके विचारो में था, जिसका कभी कोई अस्तित्व ही नहीं है |