Monday 20 March 2017

आधारहीन समाज | Baseless society

aadharheen samaj
आधारहीन समाज | Baseless society


एक बार वैज्ञानिको ने एक प्रयोग किया, एक बड़ा सा पिंजरा तैयार करवाया गया जिसके बीचो-बीच एक लम्बी सी सीडी लगवाई गई, और सीडी के सबसे ऊपरी छोर पर केलों का गुच्छा टांग दिया गया | प्रयोग शुरू करने से पहले ये वो सभी इंतज़ाम थे जो बेहद ही आवश्यक थे |

अब पशुविभाग की अनुमति द्वारा कुछ बंदर लाये गए जिनमे से पांच(5) बंदरो को उस पिंजरे में छोड़ दिया गया | कुछ देर तक पांचो बंदर इधर-उधर घूमते रहें, तभी उनमे से एक बंदर की नज़र सबसे उपर टंगे केलों के गुच्छो पर पड़ी और वो तुरंत उनकी और दोड़ पड़ा, मगर वैज्ञानिको ने कुछ तो सोचा ही था, तभी इतना बड़ा इंतज़ाम किया गया था | वाजिब है वही हुआ, वज्ञानिको ने ठन्डे-ठन्डे पानी की फवार डालने का वहां इंतज़ाम कर रखा था, जैसे ही वो एक बंदर केलों के गुच्छो के समीप पहुचने लगा तभी अचानक ठंडा-ठंडा पानी पूरी रफ़्तार से उस पर छोड़ दिया गया |


बंदर अचानक घबरा गया और अपनी पूरी तेज़ी से नीचे की और दोड़ कर कोने में दुबक गया, मगर ये क्या ? बाकी बंदरो को भी ठन्डे पानी की बोछार झेलनी पड़ी और वो भी दुपके हुए थे | कुछ देर बाद तापमान सामान्य हुआ और फिर से एक बंदर ने हिम्मत दिखा कर केलों के गुच्छो की और कदम भडाये, मगर वही हुआ जो पहले हुआ था | वैज्ञानिको ने फिर से ठन्डे पानी की बोछार उस बंदर पर बरसादी, वो भी पहले वाले बंदर की तरहा नीचे की और दौड़ा और दुबक गया, साथ ही साथ बाकी के चारो(4) बंदरो को भी ठण्ड के मारे दुबकना पड़ा |

अब काफी वक्त तक माहोल शांत हो गया, सभी ठण्ड के मारे दुबके हुए थे, तभी एक और बंदर का जमीर जागा और वो केलों के गुच्छो की और भडा ही था की बाकी के चार(4) बंदर उसपर टूट पड़ें, उसे अपनी पूरी ताकत लगा कर मारा, पिटा, धोया | और इतना मार खा कर वो बंदर पीछे हट गया, अब वहां का हाल थोडा गंभीर हो चला था, जो भी थोड़ी हिम्मत दिखाता और उन केलों के गुच्छो की और भड़ता उसे वहीँ बुरी तरहा पीट दिया जाता |

अब बारी की अगले पड़ाव की, वैज्ञानिको ने एक नया बंदर उस पिंजरे में डाला और एक पुराना बंदर बाहर निकाल लिया, नया बंदर वहां के नियमो से वंचित था | उसने वही किया जो वाजिब था, वो तुरंत केलों की और दौड़ा मगर बाकी के बंदरो ने उसे धो डाला, बुरी तरहा पिट डाला और इतना सब झेलने के बाद वो बंदर एक कोने में दुबक गया | अब वज्ञानिको ने दूसरा नया बंदर पिंजरे में डाला और दूसरा पुराना बंदर बाहर निकाल लिया |


वही हुआ जो आप सोच रहे है, उसकी भी बुरी तरहा धुनाई हुई | मगर इस बार कुछ अलग था, और अलग ये था की जो चार(4) बंदर उसे पिट रहे थे, उनमे से एक बंदर वो भी था, जो दुसरे बंदर से पहले आया था और उसे खुद नहीं पता था की वो नए बंदर को क्यों पीट रहा है |

इसी तरहा वज्ञानिको ने धीरे-धीरे पांचो बंदरो को बदल दिया और वो नियम ज्यो का त्यों लागू रहा, जो भी बंदर केलों की और भड़ता बाकी के चार बंदर उसे पिट देते, और कमाल की बात ये की बाकियों को ये तक नहीं पता की वो क्यों पिट रहे है | यही है आज का समाज, आधारहीन समाज ! एक ऐसा समाज जो बिलकुल उन पांच बंदरो की भांति है, जो केवल दुसरो को देखे-देख बिना किसी आधार के, बिना सच्चाई तक पहुचे बस कार्य करते जा रहे है |

कहानी जरूर हास्यप्रद थी, मगर ये मामला गंभीर है, आज हर रोज़ समाज के कारण बहुत से लोगो की जिंदगी बर्बाद हो रही है, कही अपने खुद के बच्चे पर पढाई का जोर डाला जा रहा है, कही जात के नाम पर लोगो को काटा जा रहा है, वो ये तक नहीं जानते की वो ये क्यों कर रहे है सिवाए एक कारण के, की सभी यही कर रहे है, हमारे धर्म का काम यही है |

बात ये है की वो सोच नहीं रहे है, वो जागरूक नहीं है, उन्हें कुछ समझना नहीं है, वो केवल परंपरा अपनाना चाहते है, क्योकि उन्होंने यही देखा है यही सिखा है और धीरे-धीरे इतना बड़ा मजाक कर डाला है की एक आधारहीन समाज का निर्माण कर डाला, जो किसी इंसान को कुछ नहीं करने देता, "बस वही करो जो हम चाहते है", "उसी रस्ते पर चलो जिसके लिए हम कह रहे है" |

आज अगर आप एक सामान्य सा व्यवसाय कर रहे हों और अचानक आप अपने परिवार और मित्रो से जाकर कहेंगे की मुझे "पायलट" बनना है तो अधिकतर लोग यही कहेंगे की आप पागल हो चुके है, वो अपनी सारी ताकत आपको इस बात को समझाने में झोक देंगे की पायलट बनने में कितने जोखिम है, मगर कोई भी अपनी ताकत इसमें नहीं झोकेगा की पायलट बनने के लिए क्या करना होगा, कोन-कोन सी परिक्षाए देनी होंगी, पायलट का अभ्यास कोन सी संस्था करवाती है | कोई नहीं कहेगा, क्योकि सभी उस नए बंदर को पिट कर चुप करवा देना चाहते है, क्योकि असल बात तो यही है की उन्हें खुद नहीं पता की पायलट कैसे बना जाता है |

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