Friday 14 April 2017

जंगल का शेर | Lion of forest

jangle ka sher
जंगल का शेर | Lion of forest
सर्कस शुरू होने वाला है, सेकड़ो की तादात में लोगो का जमावड़ा लगा है | सभी टिकट के लिए कतार में लगें है, भले ही वो बच्चा हो,जवान हो या बुड्ढा | आखिरी बार शेर को जो देखना है, हाँ सही सुना आपने, शेर को | सभी टिकट बिक गए, कुछ लोग निराशा में बहार की और चल दिए तो कुछ उल्लाहस से अंदर की ओर |

सर्कस के अंदर का द्रश्य भव्य है, करीबन तीन सो(3००) सीटें होंगी जो लाल रंग में रंग कर चमक रही है | उपर देखा तो वो तमाम इंतजाम है, जो एक जोकर को नचाने के लिए पर्याप्त है | नीचे बड़ा सा पिंजरा भी दिख रहा है जहां शेरो को बुलाया जायेगा |


असल में सरकार ने फरमान जारी किया है, की कल से कोई शेरो को व्यक्तिगत तोर पर नहीं पाल सकता, यहाँ तक की शेरो को सर्कस में भी मनोरंजन के लिय इस्तेमाल नहीं किया जायेगा | इसलिए इतने सारे दर्शक आखिरी बार शेर का खेल देखने आयें है | बहुत से खेल देखे मगर सभी को उस आखरी खेल को देखना था, जब शेरो को पिंजरे में बुलाया जायेगा | और आखिरकार वो वक्त आ गया |

एक-एक कर के शेरो को बुलाया गया, कुल तीन(3) शेर दिखाई दिए, जो आज अपना हुनर सबके सामने पेश करने वाले है | उन्ही के बीच उनका एक मास्टर भी है, जो उन्हें व्यवस्थित ढंग से बेठने का निर्देश दे रहा है | शेरो ने धीरे-धीरे करतब दिखाए जिनमे उछलना, दहाड़ना और एक के उपर एक खड़े होने जैसे हैरतंगेज़ कारनामे शामिल है |

सर्कस करीबन दो(2) घंटे चला और सभी दर्शक संतुष्टि के साथ बाहर आने लगे, बच्चो से लेकर हर बड़ा आदमी मुस्कुरा रहा था की वो इस आखिरी शेर के सर्कस का हिस्सा बने | अब अगली सुबह सरकार के निर्देशानुसार उन तीनो शेरो को जंगल में छोड़ दिया गया |

सर्कस वाले थोड़े दुखी थे, क्योकि उन्हें शेरो की याद और दर्शको में आने वाली कमी ज्ञात थी | मगर अगली सुबह अखबार में एक ऐसी खबर आई जो चौंका देने वाली थी, खबर ये थी की "जंगल में दो कुत्तो ने 3 शेरो का शिकार किया"| क्या ? वाकई, सच में, बस यही शब्द थे हर शख्स के जबान पर | क्या जंगल का शेर इतना दुर्बल है ?, क्या आजकल जगल का शेर कमजोर हो गया है?


पर सवालो और अनुमानों से क्या होने वाला था, कुछ भी नहीं | असल में जंगल का शेर तो जंगल का शेर तब ही हो सकता है जब वो जंगल में रहें | असल में उन तीन शेरो का जंगल तो सर्कस ही था | बिलकुल यही बात एक परिवार के परिजनों पर लागू होती है |

बात जरा गहरी है की परिजन अपने बच्चे को घर का शेर बनाते है, मगर उसे कभी असली जंगल में नहीं उतारते | विचार गलत नहीं है, मगर कायरता भरा है, किसी के जीवन को बांधित करना अपने जीवन में देखि गई कठिनाइयों के आधार पर किसी भी तरीके से सही साबित नहीं की जा सकता | आज स्त्रियों को बाहर नहीं जाने दिया जाता, क्यों ? क्योकि कठिनाइयों, गलत विचारो के अपनाये जाने का डर है |

मगर शेरो को सर्कस तक सिमित रखना समाधान नहीं है, जो कुत्ते जंगल में थे वो तो कल सर्कस में भी आ जायेंगे, तब क्या कर पाओगे ? अर्थात समाधान तो कुछ और ही है, और हम कुछ और ही कर रहे है | समाधान केवल एक ही है, चाहे कितनी ही जिद्दोजहद के बाद आप ये अपनाये, चाहे कान इधर से पकडे, या फिर उधर से, पकड़ना तो कान ही है और समाधान भी एक ही है | शेरो को इतना शसक्त बनाये की वो स्वयं की रक्षा कर सकें | बाकी आप समझदार है, और देख भी सकते है, की दुनिया में शसक्त बनने के ढेरो रस्ते है |

* कराटे सीखे
* अपनी आत्मरक्षा करने का समाधान

Location: India

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