Thursday 13 April 2017

रचयिता बैठा है | The master is alive

rachyita betha hai
रचयिता बैठा है | The master is alive

एक बार एक हवाई जहाज में बहुत से लोग सफ़र कर रहे थे, सभी अपनी-अपनी मंजिल की और मन में खुशहाली लिए अपने मित्रो,संबंधियों और किसी कार्य के सम्बन्ध में उस हवाई जहाज में बेठे थे, एयर होस्टेस सभी को जरुरी निर्देश दे रही थी | वहीँ समीप से कुछ बच्चो के खिल-खिलने की आवाज़ भी आ रही थी | कुछ बुजुर्ग आपस में पहली बार हवाई जहाज में बैठ कर प्रफुल्लित थे |

कुछ व्यवसाय करने वाले लोग अपने लैपटॉप पर व्यस्त थे | कुछ आखों पर अनोखी पट्टी लगाये गहरी नींद में सो रहे थे | रात के करीब दो(2) बज रहे होंगे तभी हवाई जहाज में थोड़ी हलचल महसूस हुई, स्पीकर में से एयर होस्टेस सभी को सचेत होने के लिए कह रही थी, उधर बुजुर्ग लोग भी जाग उठे थे, और व्यवसाय करने वाला व्यक्ति थक कर सो चूका था, तभी हवाई जहाज मे एक झटका और महसूस हुआ और देखते ही देखते सब जान गए थे की हालत गंभीर हो चुकी है |


हवाई जहाज की सारी लाइटें जल गई थी और सभी एयर होस्टेस सभी की ऑक्सीजन मास्क पहनाने में मदद कर रहीं थी | हवाई जहाज का संतुलन बिगड़ चूका था, अब बस उसी त्राहि-त्राहि का इंतज़ार था जो कुछ देर में होने वाली थी | मालुम ही नहीं चला की कब वो इन्तजार ख़त्म हुआ और हालत बद से बदतर हो गए, मानो हाहाकार मचा हो | लोग चीख-चिल्ला रहे थे, कुछ लोग पूछ रहा थे की क्या हुआ है, कुछ रो रहे थे की सभी का अंतिम वक्त आ गया है |

कोई इश्वर की और हाथ फेलाए बेठा था तो कोई इश्वर को कोसते हुए | बाहर का नजारा भी इस-से कुछ कम नहीं था, गड-गडाहत के साथ मानो सेकड़ो बिजलियाँ गरज उठी हों | मानो सारी स्रष्टि उलट-पुलट होने को तत्पर हों | तभी एक छोटी सी लड़की खिड़की के किनारे सीट बेल्ट बांधे अपने छोटे से हवाई जहाज के खिलोने को उड़ा-उड़ा कर हंस रही थी | माथे पर कोई चिता की शिकंज तक नहीं थी, और ना ही आस-पास होने वाली गतिविधियों से खुद पर कोई प्रभाव |

एक छोटी सी लड़की जिसका आस-पास का माहोल देख कर भयभीत होना तय था मगर ये क्या, वो तो शांत है, वो खेल रही है तो कभी खिड़की से बाहर देख कर आनंद ले रही है | वो द्रश्य जो भी था बेहद ही अलग था, जो आज तक नहीं देखा गया |


खैर, माहोल शांत हुआ, हालात सामान्य हुए | सभी गले मिलने लगे और शुक्र मनाने लगे की वो सभी बच गए | स्पीकर से फिर आवाज़ आई की हवाई जहाज अब संकट से बाहर है, और सभी यात्रिगन सुरक्षित है | ये सुनकर तो मानो सभी ने राहत की सांस ली हो, जैसे अमृत का घूंट गले से उतरा हो, जैसे नया जीवन मिल गया हो | मगर वो द्रश्य अभी-भी सामने था की वो छोटी सी नन्ही लड़की इतनी बेखोफ कैसे रह सकती है ?

प्रश्न बार-बार मस्तिष्क में घूम रहा था | सुबह के पांच(5) बज चुके थे और कोई नहीं सोया था, सभी को जल्द से जल्द बस उस हवाई जहाज से उतरना था | एअरपोर्ट पर आखिर कार हवाई जहाज पहुंचा और सभी के उतरने का क्रम शुरू हो गया |

मगर मैं उस नन्ही सी लड़की के पास जाने को आतुर था, मैं कैसे-तैसे क्रम तोड़ कर उस लड़की के पास पहुंचा और पूछ बेठा जो भी घटित हुआ, मैं पूछ बेठा की केसे, कैसे वो इतनी शांत थी, कैसे उसे कोई चिंता नहीं हुए, कैसे कोई ऐसी हालत में ऐसे रह सकता है ? वो नन्ही सी लड़की मेरी और देख कर मुस्कुराई और उसने मेरे प्रश्नों का जो उत्तर दिया वो मुझे बहुत गहरी सोच पर विचार करने पर मजबूर कर गया |

उस नन्ही सी लड़की ने कहाँ "की इस हवाई जहाज के चालक मेरे पिताजी है, मैं जानती थी की मेरे पिताजी सब संभाल लेंगे" | ये सुनते ही मानो मैं मन्त्र-मुग्ध हो गया, मानों मुझे समझ आ गया हो की इस ब्रम्हांड का संचालक भी कोई है, मानो मुझे समझ आ गया हो की कुछ चीज़े केवल वो संचालक की चलाता है, मैं अगर कुछ कर सकता हूँ तो सबसे पहले मेरी चिंता का अंत और फिर उसकी मदद |

Location: India

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