मुश्किलों का असर | Impact of difficulties |
बात प्रमाण की है, तो आज एक प्रमाण की बात होगी | एक बार तीन चीज़े चुनी गई, पहली चीज़ आलू, दूसरी चीज़ अंडा और तीसरी चीज़ कॉफ़ी के बीज | इन तीनो का दूर-दूर तक कोई नाता नहीं मगर क्या फर्क पड़ता है ?
इसी के साथ तीन समान आकार के बर्तन लिए गए जिनमे पानी भरा गया | पानी भरने के पश्चात् आलू,अंडा और कॉफ़ी के बीजों को तीनो बर्तनों में अलग-अगल रख दिया गया, और तीनो बर्तनों को गर्म होने के लिए आग पर रख दिया गया | वाजिब सी बात थी की पानी उबलने लगा और इन तीनो चीजों को लगातार उसी तापमान पर उबाला गया | कुछ समय उबालने के बाद इन्हें आग पर से उतार लिया गया और ठंडा किया गया |
ठंडा करने के बाद जब आलू का निरक्षण हुआ तो वो उतना ठोस नहीं था, वो आसानी से हाथो से दबाया जा सकता है, वो कमजोर हो चूका था | वही दूसरी और जब अंडे को देखा गया तो वो पत्थर की भाती कठोर हो चला था, जबकि पहले वो आसानी से तोडा जा सकता था, अर्थात वो ताकतवर हो गया था | मगर अब कॉफ़ी के बीजों को जाचनें की बारी थी परन्तु जैसे ही कॉफ़ी के बीजों को जांचा गया तो उनमे एक अलग ही महक थी और एक अलग ही स्वाद था, जो बेहद ही दुर्लभ है |
बिलकुल यही चीज़े लोगो के साथ भी होती है, कुछ लोग सफल होते है, कुछ लोग हारे हुए और कुछ लोग खुद को इतना कट्टर बना लेते है की उनकी तानाशाही ही उनके अंत का कारण बनती है | जैसे इन तीन चीजों के सामने समान तापमान पर उबलता पानी था उसी तरह सभी के सामने वही समान मुश्किलें होती है, मगर कुछ लोगो पर मुश्किलों का असर ऐसा होता है की वो आलू की भाति कमजोर हो जाते है तो कुछ गुस्से से भरपूर अपने मन में नफ़रत लिए अंडे की भाती कठोर, मगर कुछ लोगों पर मुश्किलों का असर इस भांति होता है की वो उन्हें ही अपनी ताकत बनाते है, उनसे सीखते है, बार-बार गिरते है और फिर उठ चलते है पर कभी रुकते नहीं |
मुश्किल को अगर गहराई से समझा जाए तो वो कहने को तो केवल एक नाम है, असल में तो वो एक अध्याय है, एक जरिया है, एक रास्ता है, एक शिक्षक है जो हमें सफलता से भी ज्यादा, बहुत ज्यादा सिखाती है | और आप जितना ज्यादा सीखते है उतना ही सफलता के करीब होते चले जाते है |
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