Wednesday 15 March 2017

जीवन का मोल | Life's worth

jivan ka mol
जीवन का मोल | Life's worth


महात्मा बुद्ध के पास एक व्यक्ति आया और पूछा कि मेरे जीवन का मोल क्या है ? ये बेहद ही गहरा सवाल था, ये व्यक्ति की विवशता व्यतीत कर रहा था, की वो अपने जीवन का मोल महात्मा बुद्ध से जानने के लिए कितना आतुर है, महात्मा बुद्ध मुस्कुराये और अपने पास रखे एक पत्थर को उठा कर दिया, और पूछा कि इस पत्थर का मोल तुम्हें क्या लगता है ?

व्यक्ति असमंजस में था, उसे समझ नहीं आ रहा था की वो एक पत्थर का मोल कैसे लगाए ? किन मायनो पर ? तभी महात्मा बुद्ध बोल उठे की 'जाओ और बाजार में इसका मूल्य पता करके आओ, मगर स्मरण रहे की इसे किसी को बेचना नहीं है'

व्यक्ति की जिज्ञासा अब बढ़ चुकी थी, क्योकि उसके विचारो में अब कुछ नए प्रश्नों ने जन्म लिया था, मगर उन्ही के साथ वो बाज़ार की और भड चला | बाज़ार में उसे सबसे पहले एक फलों की दुकान मिली, जहाँ बहुत सारे संतरे रखे हुए थे, व्यक्ति ने दुकानदार को पत्थर दिखाते हुए कहा की 'मित्र इस पत्थर के बदले में तुम मुझे क्या दे सकते हों?'

दुकानदार ने पत्थर को अच्छे से देखा, उसे तराजू में तोला और कहा की 'इसके बदले में, मैं तुम्हे पंद्रह(15) संतरे दे सकता हूँ'

व्यक्ति ने पत्थर वापस लिया और आगे भड गया, क्योकि उसे पत्थर बेचना नहीं था, वो केवल उसका मोल पता लगाना चाहता था | चलते-चलते वो एक सब्जी की दुकान पर पंहुचा और वही प्रश्न पूछ बेठा की 'मित्र इस पत्थर के बदले में तुम मुझे क्या दे सकते हों?'


सब्जी वाले ने पत्थर को देखा, जाना, समझा और कहा की 'इसके बदले में, मैं तुम्हे एक बोरी आलू दे सकता हूँ'

शायद व्यक्ति को कुछ समझ आने लगा था, मगर अब भी कही न कहीं कुछ स्पष्ट नहीं था, वो और आगे भडा और एक सुनार की दुकान में जा पंहुचा | वहां भी उसने वही सवाल किया की 'सुनार, तुम इस पत्थर के बदले में मुझे क्या दे सकते हों?'

सुनार परखी था, वो तुरंत बोल बेठा की 'मैं इसके बदले में तुमने एक लाख रुपये दे सकता हूँ'

व्यक्ति अब चकित था, मगर महात्मा बुद्ध के कहे अनुसार वो पत्थर को बिना बेचे वापस लेकर आगे भड़ने लगा, सुनार ने फिर आवाज़ लगाई 'मित्र, मैं तुमने इसके बदले में बीस(20) लाख रूपये दे सकता हूँ', व्यक्ति को अचम्भा तो हो रहा था, मगर उसने अपने कदम आगे भडा दिए और सुनार को मनाही का इशारा करते हुए वहां से चला गया |

आगे उसे एक जोहरी की दुकान दिखाई दी, जो हीरो की कारीगरी किया करता था, वो बाज़ार की सबसे भव्य और शानदार दुकान थी | व्यक्ति दुकान के भीतर गया और जोहरी से उसने वही समान सवाल पूछा 'जोहरी, तुम इस पत्थर के बदले में मुझे क्या दे सकते हों?'


जोहरी ज्ञानी था, उसे कई सालो का तजुरबा था, वो देखते ही समझ गया की पत्थर की कीमत बहुत ही ज्यादा है, जोहरी ने पत्थर को बड़ी सतर्कता से उठाया और एक लाल कपडा बिछा कर उस पर रख दिया, उसने अपने उपकरणों का उपयोग कर उस पत्थर पर अलग-अलग तरहा की रौशनी डाली और उस व्यक्ति को पत्थर की रौशनी द्वारा बदलती खूबसूरती दिखाई | जोहरी ने व्यक्ति से कहा की इस पत्थर की कीमत इतनी ज्यादा है की 'मैं अपना सारा धन,घर-बार,सम्पति यहाँ तक की ये पूरा शहर भी बेच दूँ, तो भी मैं ये पत्थर नहीं खरीद सकता'

व्यक्ति चोंक उठा और तुरंत वो पत्थर लेकर वापस महात्मा बुद्ध की और दोड़ पड़ा, वो जैसे ही महात्मा बुद्ध के पास पंहुचा, महात्मा बुद्ध ने प्रश्न किया 'क्या हुआ ? मोल ज्ञात हुआ ?'

व्यक्ति ने महात्मा बुद्ध के चरण पकड़ लिए और कहा 'हाँ, मोल ज्ञात हो गया, मुझे जीवन का मोल ज्ञात हो गया है प्रभु' |

महात्मा बुद्ध ने व्यक्ति की दोनों बाजू पकड़ कर उसे सहजता से उपर उठाया और कहा की 'हर व्यक्ति कीमती है, मगर उसकी कीमत सामने वाला अपनी समझ और अपनी औकात के हिसाब से लगाता है' |
Location: India

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