सब कुछ तुम्हारे हाथ में है | Everything is in your hand |
एक बार एक शिष्य ने अपने गुरु के अनुभव को चुनोती देने की सोची, वो गुरु को परखना चाहता था | वो उन्हें चकमा देना चाहता था, उनका हास्य बनाना चाहता था |
कुछ दिनों बाद उसे एक तरकीब सूझी, एक ऐसी तरकीब जो एक दम सटीक थी, रामबाण की तरहा, जो गुरु को हरा सकती है|
शिष्य सवेरे-सवेरे बगीचे में तितली पकड़ने गया, कई घंटो की मशकत के बाद केसे-तैसे उसने एक तितली पकड़ी | तितली पकड़ने के साथ ही शिष्य का पहला चरण पूरा हो चूका था और अब उसे इंतज़ार था, दुसरे चरण का |
गुरु जी अपनी कक्षा दोपहर दो बजे बिठाते थे, जहाँ करीबन तीन सों बच्चे पढने आते थे | वहां ढेरो बातें होती थी, विज्ञान से लेकर, आत्म ज्ञान तक | मगर आज गुरु जी नहीं जानते थे, की उनके साथ क्या होने वाला है |
गुरु जी के आते ही शिष्य ने गुरु जी से पूछा, "गुरु जी, क्या आप मेरे एक प्रश्न का जवाब दे सकते है ?" | गुरु जी ने कहा "हाँ बालक, कहो" | शिष्य ने अपने दोनों हाथो के बीच तितली छुपा रखी थी, उसने दोनों हाथ गुरु जी के सामने किये|
और कहा "गुरु जी मेरे हाथो में एक तितली है, आपको बताना है की वो जिन्दा है या मर गई ?" गुरु जी ये सुन कर हैरान हो गए की ये केसा प्रश्न है, मगर अब जब बालक ने सभी के सामने पूछा है, तो जवाब तो देना ही होगा |
गुरु असमंजस में पड़ गए, वो जान गए थे की शिष्य मेरी परीक्षा ले रहा है | उन्हें पता था की अगर मैं कहूँगा की तितली जिन्दा है, तो वो उसे वही मसल कर मार देगा और मुझे गलत साबित करने की कोशिश करेगा | और वहीँ अगर मैं कहूँगा की तितली मर गई है तो वो उसे जिन्दा दिखा कर मेरा हास्य बनाने की कोशिश करेगा |
मगर गुरु समझदार था, ज्ञानी था | उसने इतना खुबसूरत जवाब दिया की शिष्य सुन कर स्तब्ध रह गया | गुरु ने कहा की "बेटा, सब कुछ तुम्हारे हाथ में है" |
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